लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

49- खुशी बनाम सौंदर्या पहुंची पहली बार रानी के घर

सभी ने दीपक को कहा- क्या है जल्दी बताइए। डॉक्टर ने क्या बताया।  अब हमसे सब्र नहीं होता। दीपक ने कहा- आइसक्रीम खाइए, मैं बताता हूं। तब दीपक ने कहा- कि बहुत ध्यान से सुनिए, डॉक्टर ने क्या कहा- कल जब मैं डॉक्टर के पास  रानी की रिपोर्ट लेकर गया‌ तो डॉक्टर ने बहुत देर रिपोर्ट को देखने के बाद भी कुछ नहीं बोला तो मैं परेशान हो उठा। इतने में मेरे बॉस का फोन आ गया, तो मैं कुछ देर के लिए फोन पर बात करने बाहर निकल आया। वह भी बोल रहे थे कि इतनी देर हो गई तुम ऑफिस नहीं पहुंचे। मेरे मन में बड़ी झुंझलाहट भर गई थी। बॉस को मैंने कहा- सर मैं थोड़ी देर में ऑफिस पहुंचता हूं। कहकर दीपक ने  फोन रखा। फिर मैं डॉक्टर की कमरे में आया और मैंने डॉक्टर साहब से कहा- कि मेरे ऑफिस से कॉल आ रही है, मुझे थोड़ा जल्दी जाना है। कृपया हमें कुछ बता देते तो अच्छा रहता। तब डॉक्टर साहब ने कहा- बैठो बताता हूं। डॉक्टर साहब की आवाज में कुछ खुशी  खनक रही थी। दीपक को कुछ हिम्मत हुई, और वो उनके सामने कुर्सी पर बैठ गया। धैर्य से उनकी बातें सुनने लगा, तब डॉक्टर साहब ने कहा- कि मैंने सारी रिपोर्ट देख ली है, जो गड़बड़ी है मुझे समझ में आ गई है। अब तुम्हें कुछ दिन धैर्य रखना होगा और रानी का सही तरीके से दवा इलाज कराना होगा। यह सब होने के बाद।हम उम्मीद कर सकते हैं कि रानी मां बन सकेगी। यह तुम्हारे लिए खुशखबरी है, यह खुशी का अग्रिम संदेश है, कि कुछ उम्मीदें जाग गई है। मैं कोशिश करता हूं, कि जितनी जल्दी हो सके। तुम्हें पिता का सुख मिल पाए। डॉक्टर साहब की बात सुनकर दीपक रो पड़ा। उसकी आंखों से आंसू भलभला कर निकल पड़े। क्योंकि उन्हें तो इसी खुशी का इंतजार है। अभी खुशी ना सही कम से कम उम्मीद तो मिली। दीपक ने डॉक्टर साहब को धन्यवाद कहा- डॉक्टर साहब ने कहा कि कल से तुम्हें फिर आना पड़ेगा और रानी को साथ लेकर आना तब मैं सारी चीजें और सारी बातें डिटेल में तुम को समझा दूंगा। दीपक ने डॉक्टर साहब को बहुत-बहुत शुक्रिया बोला। और डॉक्टर साहब की आज्ञा से वो ऑफिस के लिए निकल गया। दिनभर ऑफिस में पहुंचकर दीपक परेशान था।कि वह कब घर पहुंचे और कभी यह सरप्राइज आप सभी लोगों को सुनाएं। इसलिए मैंने फोन करके आप लोगों को घर पर बुलाया। क्योंकि मैं यह सरप्राइज  खुशी की खबर सभी को एक साथ देना चाहता था। यह खबर सुनते ही रानी फूट-फूट कर रो पड़ी। यह आंसू दुख के नहीं थे, यह आंसू खुशी के थे। सौंदर्या उसकी गोद में थी और रानी की आंखों से आंसू टपक रहे थे। ऐसा लगता था कि मानो सौंदर्या उनके घर में एक देवी का रूप लेकर ही आई हो। सौंदर्या के कदम पड़ते ही  उनके घर में खुशी का माहौल हो गया। रानी ने श्रेया को खूब प्यार किया और श्रेया और श्रवन ने रानी और दीपक को हार्दिक बधाइयां दी। यह खुशी की खबर सुनकर सभी की आइसक्रीम और ज्यादा मीठी हो गई थी । श्रेया बोल पड़ी आप तो बहुत जल्दी ही सौंदर्या की बहन ऐश्वर्या आने वाली है। ऐश्वर्या नाम सुनकर रानी बड़ी खुश हो गई जैसे की मांसी मां ने  आने वाले शिशु का नामकरण पहले से ही कर दिया हो। श्रेया की यह बात सुनकर रानी की मन रूपी तपती धरती पर जैसे अमृत की वर्षा हो गई हो।रानी मन ही मन इन खुशियों को सहेजे भगवान का शुक्रिया अदा कर रही थी और साथ मे श्रवन और श्रेया का भी।

रानी और दीपक के घर में इस समय बहुत ही खुशी का माहौल बन गया था। सभी लोग बड़े खुश थे, हर्ष के साथ सभी लोग आइसक्रीम का लुफ्त उठा रहे थे।शाम बड़ी सुहानी लग रही थी। इस समय ऐसा लग रहा था। जैसे रानी के घर में खुशियां बरस गई हो श्रवण ने दीपक से कहा- कि तुम्हें एक खुशखबरी अपने ससुर जी को सुनाई। दीपक ने कहा- नहीं....श्रवन बोला। अरे यार वह भी तुम्हारे बच्चे को लेकर बहुत परेशान है। जल्दी से तुम उन्हें फोन लगाओ, और उनको एक खुशखबरी दो।और हो सके तो उनको यहां पर इनवाइट कर लो । कहो वह जल्दी से यहां आ जाए। दीपक ने कहा- हां बात तो सही है। दीपक ने तुरंत अपने ससुर जी को फोन लगाया, और जैसे ही उन्होंने फोन उठाया  दीपक ने उन्हें प्रणाम किया, दीपक की आवाज की खनक उनको ख़ुशी का एहसास जता रही थी। उनको यह समझ में आ गया कि दीपक बहुत खुश है पर खुशी की वजह क्या है अभी तक उनको नहीं पता था उन्होंने दीपक से कहा कि क्या बात है ।आज तो बहुत खुश नजर आ रहे हो। उसने कहा पापा जी हो सके तो आप तुरंत हमारे घर आ जाइए ।डॉक्टर साहब ने कहा- ऐसा क्या हो गया है दीपक बोला... आप आइए... तो डॉक्टर साहब भी उस समय फ्री थे। उन्होंने कहा-  ठीक है मैं आता हूं। डॉक्टर साहब ने तुरंत ड्राइवर को बुलाया और गाड़ी निकलवाई।वह तुरंत गाड़ी में बैठकर अपनी बेटी के घर पहुंचे। बेटी के घर पहुंचते ही रानी खुशी से अपने पिता से लिपट गई। अभी भी डॉक्टर साहब को समझ में नहीं आया कि खुशी का कारण क्या है, लेकिन जब उन्होंने श्रेया और श्रवन को भी वहां देखा। थोड़ा कुछ अंदाजा लगाया और डॉक्टर साहब ने कहा- अपनी खुशी में हमें भी शामिल करो. क्या बात है, तब दीपक ने कहा यह खुशी रानी अपने मुंह से आपको बताएगी। तो ज्यादा अच्छा रहेगा। रानी पिता से लिपटी हुई थी। उसने पिताजी को बोला- कि कल मैं जिस डॉक्टर को दिखाने गई थी। उस डॉक्टर ने थोड़ी सी उम्मीद बनाई है। वह कहते हैं कि आप नानू जरूर बनेंगे, इसी खुशी को सेलिब्रेट करने के लिए आज हम सब यहां इकट्ठे हुए हैं। डॉक्टर साहब ने कहा- मुझे पूरी बात बताओ, तब दीपक ने बताया कि परसों रानी को दिखाने गए थे। उन्होंने बहुत सारे टेस्ट लिखे थे जो परसों ही मैंने सब करा दिए थे। आज मैं रिपोर्ट लेकर डॉक्टर के पास गया तो उन्होंने सारी रिपोर्ट देखने के बाद एक संतोषजनक उत्तर दिया। और कहा कि रानी मां बन सकती है। परंतु कुछ समय लगेगा कुछ इलाज करना होगा और कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना होगा डॉक्टर साहब यह बात सुनकर जैसे खुशी से पागल हो उठे। और उन्होंने तुरंत सौंदर्या को गोद में लेकर प्यार किया और कहा- इसके नन्हे कदम इस घर में बहुत ही शुभ है। यह सब इसी देवी मां का प्रताप है। यह क्या डॉक्टर साहब ने सौंदर्या को बहुत प्यार किया। श्रेया बोली- नानू तो आप बन ही चुके हैं, सौंदर्य के नानू। रानी के पिता ने कहा- हां.. हां.. यह भी कोई कहने की बात है ,मैं पहले सौंदर्या का नानू हूं।

रानी के पिता ने अपनी बेटी और दामाद को बधाइयां दी और कहा कि आपने बहुत अच्छी खबर सुनाई है। इस खबर के लिए तो मैं कब से तरस रहा था। खबर सुनकर डॉक्टर साहब ने भगवान को शुक्रिया अदा किया।इस खुशी के माहौल में वे भी अपनी खुशी प्रकट कर रहे थे ।थोड़ी देर में डॉक्टर साहब के पास एक फोन आया, और उसके आते ही डॉक्टर साहब ने कहा- मुझे अब निकलना होगा। आप लोग एंजॉय कीजिए, खुशी मनाइए। डॉक्टर साहब सभी से विदा लेकर अस्पताल की ओर निकल गए। क्योंकि वहां पर किसी मरीज को उनकी जरूरत थी तो उनको जाना ही पड़ा। उनका मन भी इस खुशी को छोड़कर जाने का नहीं था। परन्तु डॉक्टर का काम ही ऐसा होता है कि जब मरीज की जरूरत पड़े जाना ही होता है। डॉक्टर भी   भगवान का दूसरा रूप होते हैं ।जो मरीज की जान बचाकर परोपकार करते हैं। अभी दीपक ने ससुर जी से कहा- कि आप खाना खा कर जाइएगा।मैंने कहा- नहीं बेटा मुझे जाना ही होगा। खाना खाने में पड़ जाऊंगा तो बहुत देर हो जाएगी। किसी की जान पर न बन जाए। अतः मुझे जाना ही होगा। तो सभी ने कहा ठीक है आप जाइए‌ किसी की जान बचाना एक डॉक्टर के लिए उतना ही जरूरी है जितना ख़ाना खाना। यह भी एक परोपकार है,मरीज का वास्ता देकर डॉक्टर साहब चले गए।

डॉक्टर साहब के जाने के बाद दीपक ने रानी को खाना लगाने के लिए कहा- दीपक सभी कुछ पैक करा कर लाया था। आज रानी को बनाना कुछ नहीं था। रानी ने फटाफट टेबल पर सभी के लिए खाना लगाया। सभी ने बड़े प्रेम से खुशी के साथ खाना खाया। खाना खाकर एक बार श्रेया और श्रवन ने फिर से रानी और दीपक को बधाई दी। और कहा कि बहुत देर हो चुकी है अब हमें घर चलना चाहिए। क्योंकि श्रेया की तबीयत अभी पूरी तरह से ठीक नहीं है तुम्हारी खुशी में शामिल होना था। इसलिए मैं उसको ले आया हूं। ज्यादा देर होगी। तो मां भी डांट लगाएगी‌। कहकर श्रेया और श्रवन ने दीपक और रानी से जाने की अनुमति मांगी।

रानी ने कहा- दो मिनट रुकिए। कहकर रानी अंदर चली गई थी। जब अंदर से वापस आई,तो वह सौंदर्या के लिए कुछ लेकर आई थी। उसने सौंदर्या को देकर विदा किया। श्रेया ने कहा -यह क्या है... इसकी क्या जरूरत थी। तब रानी बोली तुम चुप रहो। मैं भी उसकी मासी हूं और वह पहली बार मेरे घर आई है। तो उसका मुझ पर भी कुछ हक है। श्रेया को चुप हो जाना पड़ा। श्रेया ने सौंदर्या को  रानी की गोद से लिया। और घर के लिए रवाना हो गए। 

   19
5 Comments

Raziya bano

14-Oct-2022 08:48 PM

Shaandar

Reply

shweta soni

14-Oct-2022 03:23 PM

Behtarin rachana

Reply

Achha likha hai 💐

Reply